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ट्रंप ने दी धमकी: अफगानिस्तान से बगराम एयरबेस वापस नहीं तो बुरा अंजाम

डोनाल्ड ट्रंप बगराम एयरबेस को लेकर अफगानिस्तान को चेतावनी देते हुए

President Donald Trump /Getty Images)

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका और अफगानिस्तान के बीच भू-राजनीतिक खींचतान एक बार फिर सुर्खियों में है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा राष्ट्रपति पद के दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को सख्त चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर अफगानिस्तान ने बगराम एयरबेस अमेरिका को वापस नहीं किया तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह बयान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बहस छेड़ रहा है-खासतौर पर इसलिए क्योंकि बगराम एयरबेस सिर्फ एक सैन्य ठिकाना नहीं, बल्कि एशिया की रणनीतिक राजनीति का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु है।

WASHINGTON, DC – President Donald Trump /Getty Images

 

बगराम एयरबेस- इतिहास और महत्व

बगराम एयरबेस की कहानी अफगानिस्तान के इतिहास से जुड़ी हुई है।1950 के दशक में सोवियत संघ ने इस एयरबेस का निर्माण किया था।इसके बाद 2001 में अमेरिका ने 9/11 हमलों के बाद अफगानिस्तान में प्रवेश कर इस एयरबेस पर कब्जा किया।दो दशकों तक यह ठिकाना अमेरिकी सेना का सबसे बड़ा हब रहा।

यहीं से अमेरिका ने तालिबान, अल-कायदा और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सबसे बड़ी सैन्य कार्रवाइयाँ कीं।2021 में जब अमेरिकी सेना ने अचानक रातों-रात अफगानिस्तान छोड़ा, तो बगराम एयरबेस अफगान सेना के हवाले कर दिया गया। लेकिन महज छह हफ्ते बाद ही तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया और यह बेस उनके हाथ लग गया।

ट्रंप की धमकी: क्या कहा-

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा:अगर अफगानिस्तान ने बगराम एयरबेस अमेरिका को वापस नहीं दिया, तो बहुत बुरा होगा।”अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1Bवीजा के लिए नए टेंडर नियम का ऐलान किया है, जिसमें उन्होंने उसे राशि 88 लाख रुपए कर दिया जिससे नागरिकों को अमेरिका जाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा

इसके साथ ही प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि,“हम इस बेस को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं।”ट्रंप ने यह भी जोड़ा कि यह बेस बेहद रणनीतिक है क्योंकि “यह चीन के न्यूक्लियर हथियार बनाने वाले इलाके से सिर्फ एक घंटे की दूरी पर है।”

उनके इस बयान से साफ है कि बगराम का मुद्दा सिर्फ अफगानिस्तान तक सीमित नहीं, बल्कि चीन-अमेरिका की भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से भी जुड़ा है.

तालिबान की स्थिति और अमेरिका की चुनौती

अमेरिका के सामने सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि तालिबान अब अफगानिस्तान की हकीकत बन चुका है।2021 से तालिबान पूरी तरह सत्ता में है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें आधिकारिक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन कई देश उनसे बातचीत कर रहे हैं।तालिबान का मानना है कि अमेरिका ने खुद समझौते के तहत अफगानिस्तान छोड़ा, इसलिए अब बगराम एयरबेस वापस मांगना “समझौते का उल्लंघन” है।

दूसरी ओर अमेरिका अब भी अफगानिस्तान में अपने प्रभाव को जीवित रखना चाहता है। हाल ही में अमेरिकी प्रतिनिधि तालिबान से काबुल में मिले और आर्थिक निवेश व नागरिक मामलों पर बातचीत की। इससे संकेत मिलता है कि अमेरिका कूटनीतिक रास्ते से भी दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।

बगराम एयरबेस क्यों है अहम-

 रणनीतिक स्थान – यह बेस अफगानिस्तान के उत्तर में है और चीन, ईरान, पाकिस्तान और मध्य एशिया के बेहद करीब है।सैन्य ताकत का प्रतीक – यह बेस अमेरिका के लिए एशिया में शक्ति प्रदर्शन का सबसे बड़ा केंद्र था।

चीन पर नजर -जैसा कि ट्रंप ने कहा, यह चीन के न्यूक्लियर केंद्रों से नजदीक है, इसलिए अमेरिका इसे छोड़ना नहीं चाहता।आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन – 2001 से 2021 तक यहां से हजारों मिशन लॉन्च हुए।

बाइडेन बनाम ट्रंप: किसकी गलती-

ट्रंप ने एक बार फिर जो बाइडेन प्रशासन पर निशाना साधा। उनका कहना है कि अगर बाइडेन ने सही तरीके से अफगानिस्तान से वापसी की होती तो तालिबान को बगराम एयरबेस कभी नहीं मिलता।लेकिन सच्चाई यह भी है कि अमेरिका-तालिबान समझौता 2020 में खुद ट्रंप प्रशासन ने ही किया था।

इसके तहत तय हुआ था कि अमेरिका मई 2021 तक अफगानिस्तान से सेना हटा लेगा। बाइडेन ने इस समयसीमा को थोड़ा बढ़ाकर अगस्त 2021 कर दिया। यानी नींव तो ट्रंप ने रखी, लेकिन निष्पादन बाइडेन ने किया।

अंतरराष्ट्रीय असर-

चीन – बगराम पर अमेरिकी उपस्थिति चीन के लिए सीधी चुनौती होगी

भारत – अफगानिस्तान की स्थिति भारत के लिए भी अहम है। बगराम एयरबेस से आतंकवाद पर नियंत्रण आसान हो सकता है।

रूस और पाकिस्तान – दोनों देश तालिबान से बेहतर संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वे नहीं चाहेंगे कि अमेरिका फिर से अफगानिस्तान में लौटे।

निष्कर्ष-

ट्रंप का बयान केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि अमेरिका की बदलती रणनीति का संकेत है। बगराम एयरबेस एक बार फिर महाशक्तियों के बीच टकराव का केंद्र बन चुका है। सवाल यह है कि क्या तालिबान दबाव में आकर बेस लौटाएगा या फिर दुनिया एक नए संघर्ष की ओर बढ़ रही है।

एक बात साफ है-बगराम एयरबेस सिर्फ एक हवाई ठिकाना नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों में एशिया की भू-राजनीति का सबसे बड़ा गेमचेंजर साबित हो सकता है।

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