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Shreyas Iyer Injury: दिल दहला देने वाली स्प्लीन इंजरी और तिल्ली के 5 अद्भुत फैक्ट

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टीम इंडिया के स्टार बल्लेबाज Shreyas Iyer ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे वनडे मैच के दौरान कैच लेते वक्त बुरी तरह गिर पड़े। गिरने का झटका इतना तेज़ था कि वे कुछ देर तक उठ नहीं पाए। मेडिकल टीम ने मैदान पर ही जांच की और तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

जांच में सामने आया कि श्रेयस की स्प्लीन (Spleen) में चोट लगी है, जिसे मेडिकल भाषा में स्प्लीन लैसरेशन (Spleen Laceration) कहा जाता है। इस इंजरी के कारण उन्हें इंटरनल ब्लीडिंग (Internal Bleeding) भी हुई और कुछ समय के लिए ICU में भर्ती रहना पड़ा।

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Shreyas Iyer की स्थिति – ICU से बाहर लेकिन निगरानी में

बीसीसीआई के अनुसार, Shreyas Iyer को ग्रेड-2 स्प्लीन इंजरी है। उन्हें ICU में इसलिए रखा गया था ताकि ब्लीडिंग और ब्लड प्रेशर की निगरानी की जा सके। अभी वे रिकवरी स्टेज में हैं और डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण आराम और बेड रेस्ट की सलाह दी है।

फिलहाल उन्हें किसी भी फिजिकल एक्टिविटी से दूर रखा गया है। टीम डॉक्टरों के मुताबिक, वे अगले कुछ हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।

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स्प्लीन क्या होती है? (What is Spleen in Hindi)

स्प्लीन शरीर के बाईं ओर पसलियों के नीचे और पेट के ऊपरी हिस्से में मौजूद एक छोटा लेकिन अत्यंत महत्वपूर्ण ऑर्गन है।
इसे हिंदी में “तिल्ली” कहा जाता है।यह दिखने में छोटी होती है, लेकिन शरीर के ब्लड फिल्टर और इम्यून सिस्टम दोनों की तरह काम करती है।


स्प्लीन पुरानी या क्षतिग्रस्त रेड ब्लड सेल्स (RBCs) को हटाती है और शरीर को संक्रमण से बचाने के लिए नई व्हाइट ब्लड सेल्स (WBCs) तैयार करती है।

स्प्लीन का काम क्या है? (Functions of Spleen)

स्प्लीन को शरीर की ब्लड क्लीनिंग मशीन कहा जा सकता है। यह खून को साफ करने, इम्यूनिटी बढ़ाने और ब्लड स्टोर करने का काम करती है।

 5 प्रमुख कार्य- 

पुरानी ब्लड सेल्स को हटाना

स्प्लीन का पहला और मुख्य कार्य है – शरीर में मौजूद पुरानी या डैमेज्ड RBCs को फिल्टर कर बाहर निकालना। इससे खून साफ और ऑक्सीजन-युक्त बना रहता है।

नई WBC और एंटीबॉडी बनाना 

स्प्लीन इम्यून सिस्टम का केंद्र है। यह WBC और एंटीबॉडी बनाकर शरीर को बैक्टीरिया और वायरस से बचाती है।

संक्रमण से सुरक्षा

स्प्लीन खून में मौजूद बैक्टीरिया, वायरस और टॉक्सिन्स को पहचानती है और उन्हें खत्म करती है। इससे शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनता है।

ब्लड का स्टोरेज 

स्प्लीन शरीर के अंदर खून का एक रिज़र्व टैंक होती है। जब किसी एक्सीडेंट या चोट के कारण शरीर में ब्लड कम हो जाता है, तो स्प्लीन वही स्टोर ब्लड शरीर को सप्लाई करती है।

प्लेटलेट्स और ब्लड वॉल्यूम को मेंटेन करना 

स्प्लीन ब्लड प्लेटलेट्स की मात्रा को संतुलित रखती है, जिससे ब्लीडिंग कंट्रोल में रहती है और शरीर में रक्त संचार सामान्य बना रहता है।

स्प्लीन लैसरेशन क्या होता है? (What is Spleen Laceration)

जब किसी व्यक्ति को पेट या छाती के बाएं हिस्से पर तेज चोट या झटका लगता है, तो स्प्लीन में दरार (tear) या फटने (rupture) जैसी स्थिति बन जाती है। इसे स्प्लीन लैसरेशन कहा जाता है।

यह बहुत ही खतरनाक स्थिति होती है क्योंकि इसमें आंतरिक रक्तस्राव (Internal Bleeding) शुरू हो सकता है। अगर समय पर इलाज न मिले तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।

स्प्लीन इंजरी के लक्षण (Symptoms of Spleen Injury)

  • पेट के बाईं ओर ऊपरी हिस्से में तेज दर्द

  • पेट या कंधे में दबाव महसूस होना

  • ब्लड प्रेशर अचानक गिरना

  • चक्कर या बेहोशी

  • उल्टी या मिचली

  • सांस लेने में तकलीफ

  • कमजोरी या थकान

अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि यह मेडिकल इमरजेंसी होती है।

स्प्लीन इंजरी का इलाज (Treatment of Spleen Injury)

स्प्लीन इंजरी के इलाज की प्रक्रिया उसकी गंभीरता पर निर्भर करती है।

1. हल्की चोट (Mild Injury)

अगर स्प्लीन में सिर्फ हल्की दरार है, तो मरीज को बेड रेस्ट और मॉनिटरिंग में रखा जाता है। अक्सर यह कुछ हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाती है।

2. मध्यम चोट (Moderate Injury)

इस स्थिति में डॉक्टर ब्लीडिंग को रोकने और स्प्लीन को सुरक्षित रखने के लिए विशेष दवाएं देते हैं। मरीज को अस्पताल में निगरानी में रखा जाता है।

3. गंभीर चोट (Severe Injury)

अगर स्प्लीन फट जाए या ब्लीडिंग बहुत बढ़ जाए, तो स्प्लीनेक्टॉमी (Splenectomy) यानी सर्जरी करनी पड़ती है। इस सर्जरी में स्प्लीन का कुछ हिस्सा या पूरा ऑर्गन निकालना पड़ सकता है।

स्प्लीन हटने के बाद शरीर पर क्या असर पड़ता है?

स्प्लीन के बिना व्यक्ति जिंदा रह सकता है, लेकिन उसकी इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाती है। स्प्लीन हटने के बाद शरीर को संक्रमण जल्दी पकड़ते हैं, इसलिए डॉक्टर ऐसे मरीजों को वैक्सीन और एंटीबायोटिक्स की सलाह देते हैं।

स्प्लीन न होने पर ध्यान रखने योग्य बातें –

  • संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाएं

  • साफ-सफाई रखें

  • शरीर को थकान या बुखार महसूस हो तो तुरंत जांच करवाएं

  • धूम्रपान और शराब से बचें

स्प्लीन से जुड़े 5 रोचक फैक्ट (5 Interesting Facts About Spleen)

  • स्प्लीन शरीर का सबसे बड़ा लिम्फेटिक ऑर्गन है।

  • यह हर दिन करीब 250 अरब रेड ब्लड सेल्स को फिल्टर करता है।

  • बच्चों में स्प्लीन का आकार उम्र के अनुसार बदलता है।

  • यह शरीर के “इम्यून सिस्टम का गार्ड” है।

  • स्प्लीन के बिना इंसान जिंदा रह सकता है, लेकिन उसे संक्रमण से बहुत सावधान रहना पड़ता है।

Shreyas Iyer की रिकवरी और वापसी की उम्मीद

डॉक्टरों के मुताबिक, Shreyas Iyer को पूरी तरह फिट होने में लगभग 4 से 6 हफ्ते लग सकते हैं। इस दौरान उन्हें किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी, जिम या क्रिकेट ट्रेनिंग से दूर रहना होगा।

टीम इंडिया के फिजियो और मेडिकल स्टाफ लगातार उनकी हेल्थ रिपोर्ट पर नजर बनाए हुए हैं। फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि वे जल्द ही मैदान पर उसी जोश के साथ वापसी करेंगे, जिसके लिए वे जाने जाते हैं.

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