---Advertisement---

Pankaj Dheer महाभारत के ‘कर्ण’ का निधन: जिसने बना दी अमर विरासत

By
Last updated:
Follow Us

Pankaj Dheer जिन्होंने महाभारत में कर्ण का किरदार निभाकर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, का 68 वर्ष की उम्र में मुंबई में निधन हो गया। जानिए उनके पिता सी.एल. धीर की अधूरी फिल्म ‘रानो’, गीता बाली की मौत और परिवार के संघर्ष की अनकही कहानी।

उनके बेटे निकितन धीर बॉलीवुड में पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, और पत्नी अनिता धीर भी इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।

dailylive.in

 

Pankaj Dheer – महाभारत के कर्ण से करोड़ों दिलों तक की यात्रा

मुंबई में बुधवार को मशहूर अभिनेता Pankaj Dheer का 68 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। पंकज धीर ने बी.आर. चोपड़ा की महाभारत में कर्ण का किरदार निभाया था, जिसने उन्हें घर-घर में प्रसिद्ध कर दिया।

उनकी अभिनय कला, संवादों की गहराई और आंखों में छलकता भावनात्मक दर्द आज भी दर्शकों के दिलों में जिंदा है,

उनकी लोकप्रियता केवल एक किरदार तक सीमित नहीं थी ,वह चंद्रकांता’ जैसे धारावाहिकों में भी अपनी सशक्त उपस्थिति से अमिट छाप छोड़ गए।

Read more- पंजाब में ASI ने खुद को मारी गोली, लुधियाना में मचा हड़कंप

पिता सी.एल. धीर का संघर्ष- अधूरी फिल्म 

Pankaj Dheer के पिता सी.एल. धीर फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने निर्देशक और निर्माता थे। उन्होंने 1941 में फिल्मी सफर की शुरुआत की और ‘बाहू बेटी’, ‘रेन बसेरा’, ‘आखिरी रात’, ‘जिंदगी’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।

लेकिन 1965 में एक अधूरी फिल्म ‘रानो’ ने उनकी जिंदगी बदल दी। इस फिल्म में गीता बाली और धर्मेंद्र मुख्य भूमिका में थे, लेकिन शूटिंग खत्म होने से पहले ही गीता बाली को स्मॉलपॉक्स हो गया।

उनकी असमय मौत के बाद, गीता बाली ने मृत्युशय्या पर सी.एल. धीर से वादा लिया –“मेरे जाने के बाद यह फिल्म दोबारा मत बनाना।”

सी.एल. धीर ने वादा निभाया और फिल्म हमेशा के लिए बंद कर दी। इस फैसले से परिवार आर्थिक तंगी में आ गया, और पंकज धीर ने किशोरावस्था में ही परिवार की जिम्मेदारी उठा ली।

दिलीप कुमार और मीना कुमारी का प्रस्ताव –  पिता का इनकार

Pankaj Dheer  ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि दिलीप कुमार और मीना कुमारी उनके पिता के घर आए थे।
दिलीप साहब ने कहा –“मैं स्क्रीन पर आकर दर्शकों से कहूंगा कि गीता बाली की जगह मीना कुमारी को स्वीकार करें।”

लेकिन पंकज के पिता अडिग रहे –“यह फिल्म गीता बाली के साथ ही समाप्त हो गई।”

उनके इस निर्णय ने उन्हें और परिवार को गहरी आर्थिक चोट दी। कई सालों तक परिवार आर्थिक संघर्ष से गुजरा, लेकिन उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

विरासत- कर्ण जैसा त्याग और अभिनय की मिसाल

Pankaj Dheer ने अपने पिता की ईमानदारी और समर्पण को अपनी जिंदगी का सिद्धांत बना लिया। उन्होंने महाभारत में कर्ण के त्याग और आत्मसम्मान को साकार रूप दिया।

उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा कलाकार केवल अभिनय नहीं करता, बल्कि अपने जीवन से भी प्रेरणा देता है।

आज उनके बेटे निकितन धीर बॉलीवुड में पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, और पत्नी अनिता धीर भी इंडस्ट्री में सक्रिय हैं।
पंकज धीर भले ही इस दुनिया को अलविदा कह गए हों, लेकिन उनका अभिनय, संघर्ष और मूल्य हमेशा जीवित रहेंगे।

निष्कर्ष –

Pankaj Dheer  का जीवन सिनेमा, संघर्ष और सम्मान की ऐसी गाथा है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन जाएगी। उन्होंने महाभारत में कर्ण का किरदार निभाकर भारतीय टेलीविजन इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी।

लेकिन उनकी असली कहानी पर्दे के पीछे की है – एक ऐसे बेटे की, जिसने अपने पिता सी.एल. धीर के अधूरे सपनों को पूरा करने की ठानी। पिता के सपनों की अधूरी फिल्म ‘रानो’ ने परिवार को आर्थिक रूप से तोड़ दिया, लेकिन पंकज धीर ने इस टूटन को अपनी ताकत बना लिया।

उन्होंने किशोरावस्था में ही परिवार की जिम्मेदारी संभाली और मेहनत से खुद को स्थापित किया। अभिनय उनके लिए केवल करियर नहीं था, बल्कि एक जिम्मेदारी थी – परिवार की गरिमा और पिता की विरासत को जीवित रखने की।

कर्ण  के रूप में उनका अभिनय त्याग, सम्मान और संघर्ष का प्रतीक बना, जो उनकी वास्तविक जिंदगी से गहराई से जुड़ा था।

आज जब Pankaj Dheer इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं, उनके जीवन की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि असली सफलता केवल प्रसिद्धि में नहीं, बल्कि अपने मूल्यों और रिश्तों को निभाने में है।

वे भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कला और विरासत हमेशा जीवित रहेगी।

For Feedback - feedback@example.com
Join Our WhatsApp Channel

Leave a Comment