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दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव 2025: एबीवीपी के आर्यन मान एनएसयूआई की नंदिता चौधरी से आगे

NSUI candidate Joslyn Nandita Choudhary addressing students

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 के नतीजों का ऐलान शुरू हो चुका है। शुक्रवार सुबह से वोटों की गिनती जारी है और शुरुआती रुझानों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के उम्मीदवार आर्यन मान कांग्रेस समर्थित राष्ट्रीय छात्र संघ (NSUI) की जोसलीन नंदिता चौधरी से आगे चल रहे हैं।

 

गुरुवार को हुए चुनाव में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लगभग 40 प्रतिशत छात्रों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। मतदान सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक और फिर शाम 3 बजे से 7:30 बजे तक दो शिफ्टों में हुआ।

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ का इतिहास

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ की स्थापना 1949 में हुई थी और पहली बार इसके चुनाव 1954 में कराए गए थे। यह संगठन न केवल विश्वविद्यालय की राजनीति का केंद्र है, बल्कि यहां से देश की मुख्यधारा की राजनीति में भी कई बड़े नेता निकले हैं।

हर साल DUSU चुनावों को राष्ट्रीय राजनीति का आईना माना जाता है क्योंकि यहां के नतीजे अक्सर छात्र राजनीति के रुझान और आने वाले वर्षों की राजनीतिक दिशा तय करते हैं।

मुख्य मुकाबला – एबीवीपी बनाम एनएसयूआई

इस बार के चुनावों में भी मुख्य टक्कर ABVP और NSUI के बीच ही देखने को मिल रही है।

इसके अलावा SFI और AISA ने गठबंधन में चुनाव लड़ा और अंजलि (इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वीमेन) को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाया।

उम्मीदवारों की प्रोफ़ाइल

  1. आर्यन मान (ABVP)
    • विभाग: लाइब्रेरी साइंस
    • वादा: सब्सिडाइज्ड मेट्रो पास, पूरे कैंपस में फ्री वाई-फाई, दिव्यांग छात्रों के लिए कैंपस ऑडिट, और बेहतर खेल सुविधाएं।
  2. जोसलीन नंदिता चौधरी (NSUI)
    • विभाग: बौद्ध अध्ययन (पोस्टग्रेजुएट)
    • फोकस: हॉस्टल की कमी, कैंपस सुरक्षा, और मासिक धर्म अवकाश की मांग।
  3. अंजलि (SFI-AISA गठबंधन)
    • कॉलेज: इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वीमेन
    • अभियान: लैंगिक संवेदनशीलता, फीस में बढ़ोतरी का विरोध, और शिकायत निवारण तंत्र की बहाली।

चुनावी वादे और मुद्दे

ABVP का घोषणा पत्र

NSUI का चुनावी एजेंडा

SFI-AISA का विज़न


छात्रों का रुझान और माहौल

गुरुवार को मतदान के दौरान कैंपस पूरी तरह चुनावी रंग में रंगा हुआ था। अलग-अलग छात्र संगठन डांस, नारेबाज़ी और पोस्टर-बैनरों के साथ अपनी ताकत दिखा रहे थे। हालांकि इस बार मतदान प्रतिशत 40% के करीब रहा, जो पिछले कुछ वर्षों की तुलना में थोड़ा कम है।

छात्रों का कहना है कि इस बार वे सिर्फ नारे और वादों से प्रभावित नहीं होंगे, बल्कि असल मुद्दों पर वोट करेंगे – जैसे हॉस्टल की कमी, ट्रांसपोर्ट, सुरक्षा और कैंपस सुविधाएं।


रुझानों से क्या संकेत?

शुरुआती रुझानों में ABVP को बढ़त मिलती दिख रही है। अगर यह बढ़त नतीजों में बदलती है तो यह संगठन के लिए एक बड़ी जीत होगी, जबकि NSUI को झटका लग सकता है। वहीं, SFI-AISA गठबंधन का प्रदर्शन भी देखने लायक होगा कि क्या वे इस बार मुख्य धारा की टक्कर दे पाते हैं या नहीं।


DUSU चुनाव का राष्ट्रीय महत्व

दिल्ली विश्वविद्यालय सिर्फ एक शैक्षणिक संस्थान नहीं बल्कि देश की राजनीतिक प्रयोगशाला है। यहां से निकलने वाले छात्र नेता अक्सर राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं।


नतीजों पर टिकी नज़रें

अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आखिरकार दिल्ली विश्वविद्यालय का ताज किस संगठन के सिर सजता है।

अंतिम परिणाम आने तक पूरे देश की निगाहें दिल्ली विश्वविद्यालय पर टिकी रहेंगी।

 

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