DUSU चुनाव 2025 लाइव अपडेट्स: वोटों की गिनती आज से शुरू, कैंपस में उत्साह चरम पर
दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में छात्र राजनीति का सबसे बड़ा पर्व – DUSU चुनाव 2025-26 -इस बार पहले से भी ज्यादा चर्चाओं में रहा। 18 सितंबर को हजारों छात्रों ने मतदान कर अपने प्रतिनिधियों का चयन किया। मतदान दो चरणों में हुआ – सुबह 8:30 बजे से दोपहर 1 बजे तक डेव-स्कॉलर्स और दोपहर 3 बजे से शाम 7:30 बजे तक ईवनिंग कॉलेज के छात्रों ने वोट डाले।
आज 19 सितंबर को वोटों की गिनती होगी और यह तय होगा कि चार अहम पदों – अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और सह-सचिव -पर कौन बैठेगा।
हाई कोर्ट का अहम फैसला और नया संदेश
इस बार के चुनावों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा दिल्ली हाई कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले का। जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने साफ कहा कि जिन छात्रों की उपस्थिति 75% से कम होगी, वे चुनाव नहीं लड़ सकते। कोर्ट ने माना कि छात्र नेतृत्व का मतलब सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि शैक्षणिक जिम्मेदारी भी है।
यह फैसला चुनाव से ठीक पहले आया और इससे उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग और सख्त हो गई।
मुख्य उम्मीदवार और उनके मुद्दे
अध्यक्ष पद के लिए तीन प्रमुख उम्मीदवार मैदान में हैं:
- आर्यन मान (ABVP) –सस्ती मेट्रो पास, फ्री वाई-फाई और बेहतर स्पोर्ट्स सुविधाओं का वादा।
- जॉस्लिन नंदिता चौधरी (NSUI) – होस्टल सुधार, महिला सुरक्षा और मासिक धर्म अवकाश की मांग।
- अंजलि (SFI-AISA गठबंधन) – फीस वृद्धि का विरोध, जेंडर सेंसिटाइजेशन और शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत बनाने पर जोर।
ये एजेंडे दिखाते हैं कि छात्र राजनीति अब रोज़मर्रा की समस्याओं से लेकर बड़े वैचारिक मुद्दों तक को समेट रही है।
सुरक्षा के सख्त इंतज़ाम
दिल्ली पुलिस ने इस बार चुनाव को लेकर अब तक का सबसे बड़ा सुरक्षा जाल बिछाया:
- अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती,
- संवेदनशील जगहों पर ज्यादा CCTV,
- 160 पुलिसकर्मियों को बॉडी-वॉर्न कैमरे,
- संदिग्ध गाड़ियों की चेकिंग और ज़ब्ती।
प्रशासन का कहना है कि यह सब निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए है, हालांकि कुछ छात्र संगठनों ने इसे लेकर शंका भी जताई।
महिला उम्मीदवारों की बढ़ती भागीदारी
2025 के चुनावों की एक और बड़ी खासियत है महिला उम्मीदवारों का उभार। इस बार सिर्फ अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि सचिव और सह-सचिव पदों पर भी कई महिला उम्मीदवार मैदान में हैं। यह बदलाव DU की छात्र राजनीति को और समावेशी बनाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
प्रमुख छात्र मुद्दे
इस बार के चुनाव प्रचार में जो मुद्दे सबसे ज्यादा गूंजे, वे थे:
- होस्टल की कमी और बढ़ता किराया,
- लगातार बढ़ती फीस,
- महिला सुरक्षा और कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था,
- नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के क्रियान्वयन से जुड़ी चुनौतियाँ।
क्यों अहम है कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट का फैसला केवल तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि छात्र राजनीति की दिशा तय करने वाला कदम माना जा रहा है। यह संदेश साफ है कि जो छात्र नेता बनना चाहते हैं, उन्हें पहले अपनी शैक्षणिक जिम्मेदारियों को निभाना होगा। इससे राजनीति और पढ़ाई के बीच संतुलन बनेगा।
माहौल और उम्मीदें
कैंपस में माहौल बेहद रोमांचक है। छात्र, शिक्षक और राजनीतिक पर्यवेक्षक सभी नतीजों का इंतजार कर रहे हैं। हर जगह चर्चा हो रही है कि कौन जीतेगा और DU की राजनीति किस दिशा में जाएगी।
निष्कर्ष
DUSU चुनाव 2025 कई मायनों में अलग हैं। एक ओर जहां कोर्ट के फैसले ने शैक्षणिक अनुशासन को केंद्र में ला दिया, वहीं महिला भागीदारी और छात्र मुद्दों की विविधता ने इन चुनावों को और खास बना दिया। नतीजे न सिर्फ DU की राजनीति तय करेंगे, बल्कि यह भी दिखाएँगे कि भारत के युवाओं की सोच किस ओर बढ़ रही है।