बिहार चुनाव 2025 में जनसुराज पार्टी की पहली सूची ने राजनीति में हलचल मचा दी है। 51 उम्मीदवारों में आधे EBC-अगड़ा वर्ग से और छह मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं। प्रशांत किशोर ने सामाजिक संतुलन, नए चेहरों और समावेशिता का संदेश दिया है।
इससे एनडीए और महागठबंधन दोनों के वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। जनसुराज अब बिहार की राजनीति में तीसरे मोर्चे के रूप में गंभीर चुनौती बनकर उभर रही है।
यह सूची इस बात का संकेत देती है कि जनसुराज इस बार राज्य की राजनीति में तीसरे मोर्चे के रूप में गंभीर चुनौती पेश करने जा रहा है।
प्रशांत किशोर ने इस सूची के जरिए साफ संदेश दिया है कि उनकी पार्टी का लक्ष्य सिर्फ़ सत्ता प्राप्त करना नहीं, बल्कि बिहार के पारंपरिक जातीय और साम्प्रदायिक वोट बैंक को तोड़ना भी है। उनका फॉर्मूला सामाजिक संतुलन और स्थानीय नेतृत्व पर आधारित दिख रहा है।

EBC और अगड़ा वर्ग को मिला बड़ा हिस्सा
बिहार की राजनीति में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) की भूमिका किसी से छिपी नहीं है। राज्य में करीब एक तिहाई वोटर इसी वर्ग से आते हैं और पिछले दो दशकों से यही वर्ग सत्ता की चाबी रहा है। अब तक यह वर्ग मुख्य रूप से एनडीए, खासकर जेडीयू-भाजपा गठबंधन का समर्थन करता रहा है।
लेकिन पीके की रणनीति इस बार इस समीकरण को बदलने की है। जनसुराज की पहली सूची में 25 उम्मीदवार EBC और अगड़े वर्गों से हैं – यानी कुल सूची का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा इन्हीं को दिया गया है। यह एक सोची-समझी चाल है जिससे भाजपा और जेडीयू के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके।
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया है कि पार्टी “जात नहीं, योग्यता और स्थानीय स्वीकृति” को प्राथमिकता देगी। लेकिन टिकट वितरण के पैटर्न से यह साफ है कि जनसुराज ने सामाजिक गणित का भी पूरा ध्यान रखा है।
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मुस्लिम उम्मीदवारों पर खास फोकस – सीमांचल से मिथिलांचल तक पैठ की कोशिश
बिहार चुनाव 2025 जनसुराज की पहली सूची की सबसे दिलचस्प बात है – मुस्लिम उम्मीदवारों की भागीदारी। पार्टी ने कुल छह मुस्लिम चेहरों को टिकट दिया है। ये सभी ऐसे क्षेत्रों से हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या या तो बहुसंख्यक है या निर्णायक भूमिका निभाती है।
सीमांचल की तीन सीटें – सिकटी, अमौर और बैसी, कोसी की महिषी, और मिथिलांचल की बेनीपट्टी और दरभंगा सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतार कर प्रशांत किशोर ने महागठबंधन, विशेषकर राजद (RJD) की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पिछले चुनावों में सीमांचल क्षेत्र में एआईएमआईएम (AIMIM) ने मुस्लिम वोटों पर मजबूत पकड़ बनाई थी, लेकिन इस बार जनसुराज उस स्पेस में दखल दे रही है।
सीमांचल के अलावा मिथिलांचल और कोसी जैसे क्षेत्रों में मुस्लिम प्रभाव वाले उम्मीदवार उतारकर पीके ने यह दिखा दिया है कि पार्टी सिर्फ सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि पूरे बिहार में मुस्लिम समुदाय को नया विकल्प देना चाहती है।
नामचीन चेहरे: कर्पूरी की पोती, पूर्व मंत्री की बेटी, किन्नर और डॉक्टरों को मौका
प्रशांत किशोर ने अपनी पहली सूची को विविधता और प्रतीकात्मकता का मिश्रण बना दिया है।
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डॉ. जागृति ठाकुर- पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती को टिकट देकर पीके ने समाजवादी राजनीति की परंपरा से जुड़ाव दिखाया है।
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लता सिंह- पूर्व केंद्रीय मंत्री और नीतीश कुमार के करीबी रहे आरसीपी सिंह की बेटी को शामिल कर यह संदेश दिया गया है कि जनसुराज में सभी पृष्ठभूमि के नेता स्वागत योग्य हैं।
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प्रीति किन्नर- किन्नर समाज से आने वाली उम्मीदवार हैं, जो सामाजिक समावेशिता का प्रतीक हैं।
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साथ ही पांच प्रसिद्ध डॉक्टरों और एक विश्वविद्यालय के कुलपति को टिकट देकर पीके ने पेशेवर और शिक्षित चेहरों को आगे लाने की मंशा दिखाई है।
बिहार चुनाव 2025 करगहर सीट, जहाँ से प्रशांत किशोर के खुद चुनाव लड़ने की चर्चा थी, वहां से उन्होंने भोजपुरी गायक रितेश पांडे को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, दरभंगा से पूर्व डीजी होमगार्ड आर.के. मिश्र को मैदान में उतारा गया है।
यह मिश्रण दिखाता है कि जनसुराज केवल राजनीति के पुराने चेहरों पर निर्भर नहीं रहना चाहता, बल्कि नए और जनस्वीकार्य चेहरों को भी मौका दे रहा है।
क्या बदलेंगे बिहार के सियासी समीकरण?
जनसुराज पार्टी के इस कदम ने बिहार की राजनीति को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है।
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एनडीए के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी – EBC और अगड़ा वर्ग के वोट बैंक को बचाए रखना।
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महागठबंधन को मुस्लिम और पिछड़े वर्ग के वोटों में विभाजन का डर है।
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वहीं, एआईएमआईएम के लिए सीमांचल में नया प्रतिद्वंद्वी उभर आया है।
प्रशांत किशोर का उद्देश्य शायद इस बार सिर्फ़ कुछ सीटें जीतना नहीं, बल्कि राजनीतिक नैरेटिव बदलना है – ऐसा नैरेटिव जिसमें जाति और धर्म के बजाय विकास, रोजगार और शिक्षा पर चर्चा हो।
यदि जनसुराज अपने उम्मीदवारों को ग्राउंड लेवल पर मजबूत नेटवर्क और साफ छवि के साथ प्रस्तुत कर पाती है, तो यह चुनाव 2025 के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में से एक साबित हो सकता है.