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तारिक रहमान की 17 साल बाद बांग्लादेश वापसी: कसम टूटी, बदली सियासत की दिशा

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सबसे बड़ी कसम तोड़कर बांग्लादेश लौटे तारिक रहमान: 17 साल पहले क्या हुआ था, क्यों बदली राजनीति की दिशा?

बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर बड़े मोड़ पर खड़ी है। लगभग 17 साल के लंबे निर्वासन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान की ढाका वापसी ने देश की सियासत में हलचल मचा दी है।

Tarique Rahman

 

इसे सिर्फ एक नेता की वापसी नहीं, बल्कि सत्ता संतुलन बदलने वाली घटना के रूप में देखा जा रहा है।

तारिक रहमान की वापसी इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि उन्होंने कभी बांग्लादेश न लौटने की कसम खाई थी। उस कसम के टूटने के पीछे क्या कारण हैं? 17 साल पहले ऐसा क्या हुआ था कि उन्हें देश छोड़ना पड़ा?

और अब उनकी वापसी से बांग्लादेश की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा- इन्हीं सवालों के जवाब तलाशने की कोशिश यह रिपोर्ट करती है।

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तारिक रहमान कौन हैं?

तारिक रहमान बांग्लादेश की राजनीति के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों में से एक से आते हैं। वे

  • पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बड़े बेटे हैं

  • बांग्लादेश के संस्थापक नेताओं में शामिल जिया-उर-रहमान के पोते हैं

  • BNP के शीर्ष और रणनीतिक नेता माने जाते हैं

राजनीतिक गलियारों में उन्हें लंबे समय से पार्टी का ‘क्राउन प्रिंस’ कहा जाता रहा है। माना जाता है कि एक समय वे बांग्लादेश के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में सबसे आगे थे।

17 साल पहले क्या हुआ था?

साल 2007–08 बांग्लादेश की राजनीति के सबसे उथल-पुथल भरे वर्षों में गिना जाता है। उस समय देश में

  • राजनीतिक अस्थिरता

  • सेना समर्थित कार्यवाहक सरकार

  • भ्रष्टाचार विरोधी अभियान जोरों पर था।   इसी दौरान तारिक रहमान पर

  • भ्रष्टाचार

  • रिश्वतखोरी

  • मनी लॉन्ड्रिंग

  • सत्ता के दुरुपयोग

जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। कई मामलों में उनके खिलाफ जांच शुरू हुई और गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गई।

देश छोड़ने की मजबूरी और कसम

हालात बिगड़ते देख तारिक रहमान लंदन चले गए। उस वक्त उन्होंने बांग्लादेश की तत्कालीन कार्यवाहक सरकार को एक पत्र लिखकर यह कहा था कि वे

“अब कभी सक्रिय राजनीति में लौटकर देश नहीं आएंगे।”

इसी बयान को बाद में उनकी “सबसे बड़ी कसम” कहा गया। लंदन में रहते हुए उन्होंने बेहद सीमित सार्वजनिक जीवन जिया और लंबे समय तक खुद को राजनीति से दूर रखने का दावा किया।

निर्वासन की जिंदगी: लंदन के 17 साल

लंदन में बिताए गए ये 17 साल आसान नहीं थे।

  • वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते रहे

  • राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें ‘भगोड़ा नेता’ कहा

  • अदालतों में केस चलते रहे

  • उनकी मां खालिदा जिया जेल और बीमारी से जूझती रहीं

हालांकि, इसी दौरान उन्होंने BNP की रणनीति को पर्दे के पीछे से संभाले रखा। पार्टी के कई अहम फैसले उन्हीं के निर्देश पर लिए जाते रहे।

राजनीति में बड़ा बदलाव कैसे आया?

पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश की राजनीति में तेज़ बदलाव देखने को मिले।

  • लंबे समय से सत्ता में रही अवामी लीग कमजोर हुई

  • शेख हसीना का राजनीतिक प्रभाव कम हुआ

  • छात्र आंदोलनों और जनआक्रोश ने सत्ता समीकरण बदल दिए

इन परिस्थितियों में तारिक रहमान के खिलाफ चल रहे कई मामलों में

  • सज़ाएं रद्द हुईं

  • केस कमजोर पड़े

  • कानूनी अड़चनें कम हुईं

यहीं से उनकी वापसी का रास्ता साफ होता चला गया।

कसम क्यों टूटी?

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक तारिक रहमान की कसम टूटने के पीछे तीन बड़े कारण रहे:

बदला हुआ राजनीतिक माहौल

अब वे खुद को पहले जैसी कानूनी और राजनीतिक घेराबंदी में नहीं देखते।

 BNP की रणनीतिक मजबूरी

पार्टी को चुनाव में मजबूत चेहरे की जरूरत थी और वह चेहरा तारिक रहमान ही हैं।

 सत्ता में लौटने की संभावना

आगामी आम चुनावों में BNP की स्थिति पहले से मजबूत मानी जा रही है।

ढाका में वापसी और भव्य स्वागत

तारिक रहमान जैसे ही ढाका पहुंचे,

  • एयरपोर्ट से लेकर शहर तक समर्थकों की भीड़ उमड़ पड़ी

  • सड़कों पर नारे, पोस्टर और जुलूस देखने को मिले

  • BNP नेताओं ने इसे “नए युग की शुरुआत” बताया

यह साफ संकेत था कि पार्टी कैडर और समर्थक उन्हें अब भी मुख्य नेता के रूप में देखते हैं।

बांग्लादेश की राजनीति पर असर

तारिक रहमान की 17 साल बाद हुई वापसी ने बांग्लादेश की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं। लंबे समय से नेतृत्व संकट से जूझ रही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) को अब एक सीधा और सक्रिय नेतृत्व मिल गया है, जिससे पार्टी संगठन में नई ऊर्जा देखी जा रही है।

उनकी मौजूदगी ने विपक्ष को पहले की तुलना में अधिक संगठित और आक्रामक बना दिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तारिक रहमान की वापसी से सत्तारूढ़ खेमे पर चुनावी दबाव बढ़ना तय है। आगामी आम चुनाव अब केवल घोषणाओं और रणनीतियों तक सीमित नहीं रहेंगे,

बल्कि जमीनी स्तर पर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो सकती हैं। रैलियों, जनसभाओं और सड़क पर उतरने वाली राजनीति के संकेत पहले ही दिखने लगे हैं।

इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें भी एक बार फिर बांग्लादेश पर टिक गई हैं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया, निष्पक्ष चुनाव और राजनीतिक स्थिरता को लेकर वैश्विक स्तर पर बारीकी से हालात पर नजर रखी जा रही है।

कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि तारिक रहमान की सक्रिय राजनीति चुनावों को “कागजों से निकलकर सड़कों की राजनीति” में बदल सकती है, जिससे आने वाले महीनों में देश का राजनीतिक माहौल और गर्म होने की संभावना है।

प्रधानमंत्री पद के दावेदार?

हालांकि अभी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के भीतर, समर्थकों के बीच, और राजनीतिक विश्लेषकों में यह चर्चा आम है कि तारिक रहमान प्रधानमंत्री पद के सबसे बड़े दावेदार हो सकते हैं।

यदि ऐसा होता है तो यह बांग्लादेश के इतिहास में सबसे चर्चित राजनीतिक वापसी मानी जाएगी।

निष्कर्ष (Conclusion)

17 साल बाद तारिक रहमान की वापसी केवल एक व्यक्ति की घर वापसी नहीं है, बल्कि बांग्लादेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है।

कभी देश न लौटने की कसम खाने वाले इस नेता ने हालात बदलते ही राजनीति में फिर से कदम रखा है। अब देखना यह होगा कि यह वापसी उन्हें सत्ता के शिखर तक ले जाती है या फिर इतिहास एक बार फिर खुद को दोहराता है।

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