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Pushkar Mela 2025: 15 करोड़ का घोड़ा ‘शाहबाज’ और 23 करोड़ का भैंसा ‘अनमोल’ बने मेले के सितारे

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Pushkar Mela 2025 में 15 करोड़ रुपये का घोड़ा ‘शाहबाज’ और 23 करोड़ रुपये का भैंसा ‘अनमोल’ आकर्षण के केंद्र बने। मारवाड़ी नस्ल का शाहबाज अपनी चाल और रॉयल लुक से सबको चकित कर रहा है, जबकि 1500 किलो वजनी अनमोल अपनी शाही देखभाल और मुर्राह नस्ल की गुणवत्ता के लिए मशहूर हुआ। दोनों पशु भारत की पशुधन शक्ति का प्रतीक बने।

 

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Pushkar Mela 2025 – संस्कृति और पशुधन का संगम

राजस्थान का मशहूर Pushkar Mela 2025 इस बार अपने अनोखे आकर्षण की वजह से सुर्खियों में रहा। इस मेले में 15 करोड़ रुपए का घोड़ा और 23 करोड़ रुपए की भैंस बिकने के लिए आईं, जिसने देश-विदेश के पर्यटकों और पशुपालकों को हैरान कर दिया।

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यह मेला भारत की सांस्कृतिक विरासत, ग्रामीण जीवन और पशुधन संपदा का सबसे बड़ा उत्सव माना जाता है। हर साल लाखों लोग यहां धार्मिक स्नान, व्यापार और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने आते हैं।

15 करोड़ रुपये का घोड़ा ‘शाहबाज’ – Pushkar Mela 2025 का सुपरस्टार

Pushkar Cattle Fair 2025 में इस बार सबसे ज्यादा चर्चा में रहा ढाई साल का शानदार घोड़ा ‘शाहबाज’, जो देखने वालों के बीच सनसनी बना हुआ है। इसकी कीमत ₹15 करोड़ बताई जा रही है, जिसने पूरे मेले में हलचल मचा दी है।

चंडीगढ़ के गैरी गिल, जो इसके मालिक हैं, ने बताया कि ‘शाहबाज’ अब तक कई घुड़सवारी शो और प्रतियोगिताएं जीत चुका है। उसकी चाल, शरीर की बनावट और रॉयल लुक इसे बाकी घोड़ों से अलग बनाते हैं।

गैरी गिल ने यह भी बताया कि शाहबाज की ‘Covering Fees’ ₹2 लाख रखी गई है। यह फीस तब दी जाती है जब किसी मादा घोड़ी से प्रजनन के लिए इस नर घोड़े का चयन किया जाता है।

मारवाड़ी नस्ल से संबंध रखने वाले इस घोड़े के लिए उन्हें पहले ही ₹9 करोड़ तक के ऑफर मिल चुके हैं, लेकिन मालिक का कहना है कि शाहबाज की असली कीमत 15 करोड़ से कम नहीं।

23 करोड़ रुपये का भैंसा ‘अनमोल’ –

Pushkar Mela 2025 में इस बार सबसे अधिक चर्चा में रहा ‘अनमोल’ नाम का भैंसा, जिसकी कीमत सुनकर हर कोई दंग रह गया। करीब 1500 किलोग्राम वजनी यह मुर्राह नस्ल का भैंसा किसी शाही जीव से कम नहीं। इसके मालिक पलमिंद्र गिल ने बताया कि उन्होंने अनमोल को “राजाओं की तरह” पाला है।

अनमोल के खानपान में रोजाना दूध, देसी घी, मक्खन, सूखे मेवे और खास अनाज शामिल होते हैं। उसकी देखभाल के लिए एक अलग टीम रखी गई है जो रोज उसके स्वास्थ्य, व्यायाम और आहार पर नज़र रखती है।

मेले में आए देश-विदेश के पशुपालकों ने जब ‘अनमोल’ को देखा, तो उसकी मांसल बनावट, चमकदार त्वचा और शाही चाल ने सबको आकर्षित किया। बताया जा रहा है कि उसकी कीमत ₹23 करोड़ तक लगाई गई है, जो अब तक किसी भैंसे के लिए असाधारण मूल्य है।

‘अनमोल’ न केवल Pushkar Mela का सितारा बन गया है, बल्कि उसने भारत के पशुधन की क्वालिटी, देखभाल और समर्पण का भी नया मानक स्थापित कर दिया है।

Pushkar Mela का इतिहास – 1000 साल पुरानी परंपरा

पुष्कर मेला का इतिहास करीब 1000 साल पुराना है। माना जाता है कि राजा अजपाल चौहान ने इसकी शुरुआत की थी।
शुरुआत में यह धार्मिक मेला था, जहां लोग पुष्कर सरोवर में स्नान और भगवान ब्रह्मा की पूजा करने आते थे।

लेकिन अब यह Asia’s Largest Cattle Fair के रूप में विकसित हो चुका है। यहां ऊंट, गाय, घोड़े और भैंसों की खरीद-बिक्री के अलावा लोकनृत्य, संगीत और हस्तशिल्प भी आकर्षण का हिस्सा हैं।

Digital Pushkar Mela – जब परंपरा मिली टेक्नोलॉजी से

2025 में Pushkar Mela पूरी तरह डिजिटल अंदाज में दिखा। पशु व्यापार के लिए अब Online Registration, Digital Payment System, और QR Code आधारित पहचान कार्ड शुरू किए गए।

इससे खरीदार और विक्रेता दोनों के लिए लेनदेन सुरक्षित और पारदर्शी हुआ। यह कदम Digital India Mission के तहत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नया स्वरूप दे रहा है। अब किसान अपने पशुओं की असली कीमत प्राप्त कर पा रहे हैं, जिससे उनकी आमदनी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

राजस्थानी संस्कृति की झलक – रंग, नृत्य और परंपरा

Pushkar Mela 2025 केवल व्यापारिक आयोजन नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा का उत्सव है। यहां कालबेलिया, घूमर, लोकगीत, ऊंट सजावट प्रतियोगिता और राजस्थानी व्यंजन सभी का मन मोह लेते हैं।

इस बार “Vibrant Rajasthan” थीम के तहत सैकड़ों लोक कलाकारों ने प्रदर्शन किया। विदेशी पर्यटकों ने भी पारंपरिक पोशाक पहनकर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया, जिससे यह आयोजन एक सांस्कृतिक संगम बन गया।

निष्कर्ष-

Pushkar Mela 2025 ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारत की ग्रामीण संस्कृति और पशुधन परंपरा आज भी दुनिया में अद्वितीय है। 15 करोड़ का घोड़ा और 23 करोड़ की भैंस केवल कीमत का प्रदर्शन नहीं, बल्कि भारतीय पशुपालकों की मेहनत, समर्पण और गर्व की पहचान हैं।

यह मेला न केवल धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन व्यापार जैसी सुविधाओं से किसानों को अपने पशुओं की असली कीमत मिल रही है। वहीं, विदेशी पर्यटकों की बढ़ती भागीदारी भारत के पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाई दे रही है।

इस प्रकार, Pushkar Mela 2025 केवल एक मेला नहीं, बल्कि भारत की आत्मा, परंपरा और प्रगति का जीवंत प्रतीक बन चुका है – जहां परंपरा और टेक्नोलॉजी का अद्भुत मेल दिखाई देता है।

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