कुश्ती के खेल में कितने दल होते हैं? Wrestling Teams Explained in Hindi
कुश्ती भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया का सबसे पुराना और लोकप्रिय खेलों में से एक है। यह खेल ताक़त, तकनीक, सहनशक्ति और रणनीति का बेहतरीन मिश्रण है। जब हम “कुश्ती” का नाम सुनते हैं तो दिमाग़ में अखाड़े की मिट्टी, पहलवानों की शोर-शराबे वाली भिड़ंत और दर्शकों की तालियों की गूंज ज़रूर आती है। लेकिन अक्सर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि कुश्ती के खेल में कितने दल (टीम) होते हैं.
इस लेख में हम कुश्ती के दल, भार वर्ग (Weight Categories), टीम संरचना, और पारंपरिक व आधुनिक कुश्ती के बीच अंतर पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
कुश्ती का स्वरूप: दल और वर्ग
कुश्ती मूल रूप से एक व्यक्तिगत खेल (Individual Sport) है। इसमें एक समय पर दो पहलवान आमने-सामने होते हैं।
लेकिन टूर्नामेंट और चैंपियनशिप स्तर पर खिलाड़ियों को अलग-अलग दल (Teams) में बांटा जाता है।
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पारंपरिक भारतीय कुश्ती (अखाड़ा प्रणाली)
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इसमें दो दल बनाए जाते हैं।
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हर दल के पहलवान बारी-बारी से प्रतिद्वंद्वी दल के पहलवानों से भिड़ते हैं।
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जीतने वाले पहलवान को अंक या सम्मान मिलता है और अंत में कुल जीत-हार से तय होता है कि किस दल की जीत हुई।
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आधुनिक अंतरराष्ट्रीय कुश्ती (Olympic Wrestling)
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यहां “दल” की जगह वजन वर्ग (Weight Categories) होती हैं।
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हर देश अपनी राष्ट्रीय टीम बनाता है जिसमें अलग-अलग वजन वर्ग के खिलाड़ी शामिल होते हैं।
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एक टीम में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वर्ग तय होते हैं।
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ओलंपिक कुश्ती में दलों का स्वरूप
ओलंपिक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती की दो मुख्य शैलियाँ होती हैं:
1. ग्रीको-रोमन कुश्ती (Greco-Roman Wrestling)
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पुरुष वर्ग: 57kg, 65kg, 74kg, 86kg, 97kg, 125kg
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महिला वर्ग: 50kg, 53kg, 57kg, 62kg, 68kg, 76kg
2. ग्रीको-रोमन कुश्ती (Greco-Roman Wrestling)
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पुरुष वर्ग: 55kg, 60kg, 67kg, 77kg, 87kg, 97kg, 130kg
इस प्रकार देखा जाए तो अंतरराष्ट्रीय कुश्ती में हर देश की टीम (दल) कई खिलाड़ियों से मिलकर बनती है, जो अलग-अलग भार वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
भारतीय पारंपरिक कुश्ती में दल
भारत में सदियों से कुश्ती अखाड़ों में खेली जाती है।
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यहां अक्सर दो दल होते हैं – स्थानीय दल और मेहमान दल।
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दोनों दलों के पहलवान आमने-सामने भिड़ते हैं।
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यह कुश्ती केवल ताकत की लड़ाई नहीं बल्कि गांव-गांव की प्रतिष्ठा का सवाल भी होती है।
उदाहरण के लिए, एक गांव का दल दूसरे गांव के दल को चुनौती देता है। फिर अखाड़े में मुकाबले आयोजित होते हैं।
दल का महत्व
कुश्ती में दल होने के कई फायदे हैं:
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खिलाड़ियों को पहचान मिलती है – जब पहलवान किसी दल से जुड़ता है तो उसे अपनी पहचान मिलती है।
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रणनीति का हिस्सा – टीम मैनेजमेंट यह तय करता है कि किस भार वर्ग में किसे उतारा जाए।
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प्रतिस्पर्धा और रोमांच – दल बन जाने से खेल और भी रोमांचक हो जाता है।
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सामूहिक जीत का जज़्बा – पहलवान भले अकेले लड़े लेकिन उसकी जीत पूरी टीम की जीत मानी जाती है।
कुश्ती में दलों की संख्या
अब सवाल आता है कि आखिर कुश्ती के खेल में कुल कितने दल होते हैं?
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पारंपरिक अखाड़ा कुश्ती में – सामान्यतः दो दल होते हैं।
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राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर – हर देश अपनी एक राष्ट्रीय टीम (दल) बनाता है।
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टूर्नामेंट में ये टीमें आपस में भिड़ती हैं। यानी पूरे टूर्नामेंट में दर्जनों दल हो सकते हैं।
Q&A Section
Q1: कुश्ती के खेल में कितने दल होते हैं?
पारंपरिक भारतीय कुश्ती में 2 दल होते हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर देश की अपनी टीम होती है, जिनकी संख्या टूर्नामेंट में अलग-अलग हो सकती है।
Q2: क्या कुश्ती व्यक्तिगत खेल है या टीम खेल?
कुश्ती व्यक्तिगत खेल है, लेकिन राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे टीम/दल के रूप में खेला जाता है।
Q3: भारत की कुश्ती टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं?
भारत की टीम में पुरुष और महिला दोनों वर्गों के खिलाड़ी शामिल होते हैं, जो विभिन्न भार वर्गों में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
Q4: पारंपरिक अखाड़ा कुश्ती और ओलंपिक कुश्ती में क्या अंतर है?
अखाड़ा कुश्ती मिट्टी पर और दल प्रणाली पर आधारित होती है, जबकि ओलंपिक कुश्ती मैट पर खेली जाती है और इसमें वजन वर्गों पर ज़्यादा ज़ोर दिया जाता है।
निष्कर्ष-
कुश्ती एक ऐसा खेल है जिसमें व्यक्तिगत मेहनत और टीम भावना दोनों का मेल देखने को मिलता है। पारंपरिक अखाड़ा कुश्ती में जहां केवल दो दल होते हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में दर्जनों टीमें एक-दूसरे के सामने आती हैं।
असल में कुश्ती की खूबसूरती इसी में है कि चाहे आप अकेले अखाड़े में हों या पूरी दुनिया के खिलाड़ियों के बीच – हर जगह यह खेल ताक़त, तकनीक और जुनून की मिसाल पेश करता है।